ब्लैक गंगोत्री - Black Gangotri
स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत एक परिदृश्य
गंगा शब्द सुनते ही हमारे मन में पवित्र विचार उठते हैं| मानो जैसे गंगा शब्द सुनते ही कानों में और मन में अमृत का सा एहसास होने लगता है| गंगा इस धरती पर उतरी थी किसी की मुक्ति के लिए या मानीए कि उतारी गई थी धरती पर अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने के लिए, जो उस समय भागीरथ के नाम से जाने जाते थे| उन्होंने उस समय यह कार्य संभव बनाया था अपने पूर्वजों को और इस पृथ्वी पर रहने वाले प्राणीयों को मुक्ति या अपने पापों को धोने के लिए और ऐसा हुआ भी| आज गंगा हमें साफ़ करते-करते थकी-थकी सी नज़र आने लगी है|
एक वो गंगा थी जो उस समय भागीरथ जी इस पृथ्वी पर लाये थे और
एक काली गंगा इस पृथ्वी पर इंसान ने बना डाली है| इंसान के अन्दर
न जाने कौन सा घमंड घर किये हुए है जो परमात्मा से बराबरी करने या परमात्मा बनने
की कोशिश करता है| लेकिन परमात्मा की उस गंगा को थका-थका सा ज़रूर
महसूर कर सकते हैं| पर उसकी पवित्रता आज भी विश्वास योग्य है| लेकिन इन्सान की
बनाई हुई इस काली गंगा में एक बार कोई डुबकी लगा ले तो आत्मा परमात्मा में एक क्षण
में विलीन हो जायेगी|
इस काली गंगा के पुल के ऊपर से अगर कोई निकले तो आत्मा
नाक के दोनों छेदों के ज़रिये ही बाहर आने के लिए आतुर हो उठती है जैसे अभी परमात्मा से मिल लेना चाहती हो| यह काली गंगा कभी किसी ज़माने में नाली के नाम
से जानी जाती थी| जैसे-जैसे शहरी विकास हुआ, इंसानों का विकास
हुआ उसी के साथ-साथ इस काली गंगा का भी विकास हुआ| जो काली गंगा
किसी समय नाली के नाम से जानी जाती थी वो बाद में नाला बनी और अब विशाल नदी का
रूप लेती जा रही है|
भगवान की इस साफ़ और पवित्र गंगा को तो लोगों ने पहले ही गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अब उस गंगा को साफ़ करने की समस्या से निपटने की तैयारी कर रहे हैं| वो गंगा साफ़ होगी या नहीं पता नहीं, मगर इस काली गंगा से इन्सान कैसे निपटेगा जिसे वह अपने विनाश के लिए तैयार कर रहा है| कंपनी से निकलता केमिकल, शौचालयों के सेप्टिक टैंको के बोझों, घरों से निकलता गन्दा पानी, गटरों-सीवरों से होता हुआ इस काली गंगा को विकराल रूप दे रहा है| इस देश की नदियाँ तो गन्दी हो ही रहीं है, मगर शहरों के चारों तरफ ये अपना परचम लहरा रही है| अगर इस काली गंगा का निदान नहीं किया गया तो, कहते है उस गंगा में डुबकी लगाने से स्वर्ग मिलता है अब स्वर्ग मिलता है या नहीं यह तो पता नहीं मगर ये काली गंगा इस पृथ्वी के जीवों के लिए नर्क का द्वार ज़रूर खोल रही है| तो क्या आप लोग तैयार है इस काली गंगा में डुबकी लगाने के लिए| आप तैयार हो न हो लेकिन डुबकी तो आप रोज़ लगाते है इस काली गंगा में| डुबकी न सही तो उसकी बदबू ही सही डुबकी तो डुबकी ही है| भागीरथ जी ने अपने पूर्वजों को मुक्त कराया और हमें तोहफे में दी पवित्र गंगा, मगर हम अपने आने वाली नस्लों को भेंट स्वरूप देंगे ये काली गंगा, यह ब्लैक गंगोत्री|
भगवान की इस साफ़ और पवित्र गंगा को तो लोगों ने पहले ही गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अब उस गंगा को साफ़ करने की समस्या से निपटने की तैयारी कर रहे हैं| वो गंगा साफ़ होगी या नहीं पता नहीं, मगर इस काली गंगा से इन्सान कैसे निपटेगा जिसे वह अपने विनाश के लिए तैयार कर रहा है| कंपनी से निकलता केमिकल, शौचालयों के सेप्टिक टैंको के बोझों, घरों से निकलता गन्दा पानी, गटरों-सीवरों से होता हुआ इस काली गंगा को विकराल रूप दे रहा है| इस देश की नदियाँ तो गन्दी हो ही रहीं है, मगर शहरों के चारों तरफ ये अपना परचम लहरा रही है| अगर इस काली गंगा का निदान नहीं किया गया तो, कहते है उस गंगा में डुबकी लगाने से स्वर्ग मिलता है अब स्वर्ग मिलता है या नहीं यह तो पता नहीं मगर ये काली गंगा इस पृथ्वी के जीवों के लिए नर्क का द्वार ज़रूर खोल रही है| तो क्या आप लोग तैयार है इस काली गंगा में डुबकी लगाने के लिए| आप तैयार हो न हो लेकिन डुबकी तो आप रोज़ लगाते है इस काली गंगा में| डुबकी न सही तो उसकी बदबू ही सही डुबकी तो डुबकी ही है| भागीरथ जी ने अपने पूर्वजों को मुक्त कराया और हमें तोहफे में दी पवित्र गंगा, मगर हम अपने आने वाली नस्लों को भेंट स्वरूप देंगे ये काली गंगा, यह ब्लैक गंगोत्री|
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