दुनिया कैसे चलती है?
दुनिया कैसे चलती है? और इसे कौन चलाता हैं?
दुनिया कैसे चलती है? यह तो सभी जानने के इच्छुक हैं, आइये एक कहानी के माध्यम से समझते हैं कि दुनिया कैसे चलती है?
एक बार शिव जी और पार्वती जी में बहस छिड़ जाती है कि इस दुनिया में सब कुछ अच्छा है सिवाय एक चीज़ के, और वह है
पेट| इस पर पार्वती जी शिव जी से मनुष्य का पेट हटाने का आग्रह करती हैं| शिव जी ऐसा करने से मना करते हैं| पर स्त्री के आगे किसकी चलती है| आख़िरकार उन्हें पार्वती जी की बात माननी पड़ी और उन्होंने मनुष्य का पेट हटा दिया|
पार्वती जी को मनुष्य का पेट हटाने का परिणाम दिखाने के लिए शिव जी उन्हें लेकर पृथ्वी-लोक भ्रमण के लिए आये| शिव जी पार्वती जी को लेकर पृथ्वी-लोक पर एक वन में पहुंचे और घूमने लगे|
घूमते-घूमते पार्वती जी थक गयीं| तो पार्वती जी ने शिव जी से कहा कि अब यहीं विश्राम करते हैं अब
और चला नहीं जा रहा है| और एक-आध महीना वहीँ डेरा डालने की अपनी मंशा भी जताई| तो शिव जी बोले अगर एक-आध महीने के लिए ही रुकना है फिर तो
हमें यहां एक झोपड़ी बनानी पड़ेगी| और भी बहुत से काम करने पड़ेंगे| तो फिर चलो हम दोनों मिलकर झोपड़ी बनाते हैं| तो इस पर पार्वती जी ने चौंक कर कहा एक तो
इतने थके हुए हैं और उस पर अब झोपड़ी भी बनानी पड़ेगी? आप कोई आदमी पकड़ लाइए मुझसे अब यह झोपड़ी-वोपड़ी नहीं बनती| पर शिव जी बोले अगर ऐसी बात है तो चलो मेरे साथ चल कर कहीं से आदमी पकड़
लेते हैं जो हमारे लिए झोपड़ी बना देगा|
थोड़ी दूर चलने पर उन्हें एक झोपड़ी
दिखाई दी| वो झोपड़ी के पास गए और दरवाजा खटखटाया| अंदर से आवाज आई अरे कौन है आराम भी
नहीं करने देते चले आते हैं परेशान करने के लिए| शिव जी बोले भाई तुमसे थोडा काम है ज़रा बाहर आओ| अंदर से आवाज आई भाग जा यहां से न
जाने कहां-कहां से आ जाते हैं| सोने भी नहीं देते आराम से| तो शिव जी ने कहा अरे भाई आ जाओ थोड़ा सा काम है उसके बदले पैसे ले लेना| तो अंदर से आवाज आई मुझे कोई पैसे-वैसे नहीं चाहिए भागो यहां से| यह सब सुनकर शिव जी पार्वती जी को लेकर वहां से चल पड़े|
थोड़ी दूर जाने पर उनको एक आदमी लेटा
हुआ दिखाई दिया| जो दुनियादारी से दूर बेफिक्र होकर आराम से सो रहा था| शिव जी और पार्वती जी सोते हुए आदमी के पास गए उसे उठाया और कहा भाई थोड़ा काम
है कर दो उसके बदले में हम तुम्हें पैसे देंगे| तुम चाहो तो हम तुम्हे कुछ और भी दे सकते हैं, कुछ खाने के लिए| तो वह आदमी बोला अरे जब भूख ही नहीं है तो किस बात का काम? और किस बात के पैसे? चलो भागो यहाँ से| मुझे नहीं करना कोई काम-वाम|
पार्वती जी यह सुनकर विचलित हों उठीं और बोली कि यह क्या हो रहा है? इस तरह तो श्रृष्टि थम जाएगी| सब कुछ तबाह हो जाएगा| तो शिव जी बोले आपने ही तो किया है यह सब| आप ही ने तो कहा था की मनुष्य का पेट हटा दीजिए, अब जब मैंने पेट हटा दिया है तो इनमें काम करने की इच्छा ही नहीं रही| और अगर इनके पेट होता तो यह आपके हाथ-पाँव भी जोड़ते और काम भी करते| और आपकी झोपड़ी भी बनाते| अब ना ही इनमें काम करने की इच्छा है और ना ही किसी बात की चिंता है| इनको अब सिर्फ एक ही चीज़ सूझती है, सोना सोना और सोना| अब यह इंसान आराम के आलावा और कुछ करना ही नहीं चाहता| पार्वती जी ने आखिर में हार मानकर शिव जी से माफ़ी मांगी। और उनसे कहा कि इंसानों के पेट वापस लगा दीजिए नहीं तो यह श्रृष्टि थम जाएगी| श्रृष्टि को चलाने के लिए पेट का होना ज़रूरी है|
कहने का तात्पर्य यह है कि, यह संसार सिर्फ पेट के कारण ही चल रहा है|
Paapi pet ka sawal h......
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