अक्षय कुमार को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड
अक्षय कुमार को मिला 2017 का नेशनल फ़िल्म अवार्ड
अक्षय कुमार दो दशक से ज्यादा से हिंदी सिनेमा में कार्यरत है और सम्भवतः यह उन्हें पहली बार बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला है| अक्षय ने एक विडियो बना कर अपने फैन्स को धन्यवाद दिया है|
बेस्ट एक्टर का अवार्ड
मिलना बहुत ही सम्मान की बात है, इसलिए अक्षय का खुश होना स्वाभाविक भी है| मैं
अक्षय की ख़ुशी के रंग में भंग नही डालना चाहता लेकिन जो चुभ रहा है उसे लिखना भी
मजबूरी है|
अक्षय कुमार को यह अवार्ड उनकी फिल्म रुस्तम के लिए मिला| रुस्तम एक औसत फिल्म थी और सफलता भी औसत ही मिली| रुस्तम के मुकाबले में एम. एस. धोनी – द अनटोल्ड स्टोरी, सुलतान, ऐ दिल है मुश्किल और दंगल ने कही ज्यादा सफलता अर्जित करी| यहाँ ये प्रश्न ज़रूर उठता है कि बेस्ट एक्टर का अवार्ड पाने के लिए फिल्म की सफलता कोई मापदंड नहीं है| यहाँ अभिनय को सम्मानित किया गया है न कि फिल्म के बिज़नेस को| इस तर्क को मानते हुए अगर सिर्फ अभिनय की बात करे तो भी अक्षय कुमार का चुनाव युक्तिसंगत नहीं लगता|
ज़रा एक बार नजर डाल लें कि बाकी कौन से अभिनेता किस फिल्म के लिए इस अवार्ड की प्रतियोगिता में थे| अमिताभ बच्चन - वज़ीर, तीन और पिंक के लिए | चलिए अमिताभ बच्चन जी को तो इस प्रतियोगिता से हटा ही दीजिये आखिर कितने अवार्ड उन्हें दिए जाएँ और कितनी बार सूरज को दिया दिखाया जाये|
सुलतान के लिए सलमान खान भी कम्पटीशन में थे वहीँ फैन के लिए शाहरुख़| सुलतान जहाँ सफलता के झूले पर पींगे मार रही थी वहीँ फैन में शाहरुख़ ने अभिनय के नये आयाम को छुआ| सलमान और शाहरुख़ का यह परफॉरमेंस नेशनल अवार्ड्स के जजों को प्रभावित नहीं कर सका|
100 करोड़ से ऊपर बिजनेस करने वाली ऐ दिल है मुश्किल के रणवीर कपूर भी चुलबुलेपन और गम्भीरता के दो आयामी अभिनय क्षमता को प्रदर्शित करने के बावजूद जजों को रिझा नहीं पाए|
एक फिल्म ऐसी भी आई जिसमे कोई सुपरस्टार नही था लेकिन जिनके जीवन पर यह फिल्म बनी थी वो किसी भी बॉलीवुड के सुपरस्टार से कम नही है| जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ, पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की और उनके जीवन पर बनी फिल्म एम. एस. धोनी – द अनटोल्ड स्टोरी की| सुशांत सिंह राजपूत ने जिस तरह धोनी को पर्दे पर उतारा वो काबिल-ए-तारीफ़ है| शायद सुशांत का ये कमाल का परफॉरमेंस अवार्ड दिलाने के लिए काफी नहीं था|
अंत में बात करते है साल के अंत में आई फिल्म दंगल की| कथा, पटकथा, निर्देशन और अभिनय के मामले में ये फिल्म हर फिल्म पर भारी रही| इतना ही नहीं इस फिल्म ने सफलता के सारे कीर्तिमान भी तोड़ डाले| आमिर ने लाजवाब अभिनय किया| आमिर को अवार्ड ना मिलने पर मैं इतना ही कह सकता हूँ कि शायद निर्णायक मंडल के एक भी सदस्य ने यह फिल्म नहीं देखी होगी|
अक्षय को अवार्ड मिलने का एक कारण यह हो सकता है कि रुस्तम देशभक्ति के विषय पर बनी एक फिल्म थी और देश के सिनेमा का सर्वोच्च आवर्ड उसी को मिलना चाहिए जिसने देश पर बनी फिल्म में काम किया हो, फिर चाहे वो भारत का नागरिक हो या कनाडा का| ज्ञात रहे अक्षय कुमार ने कनाडा की नागरिकता ले रखी है|
Good
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