पुलवामा टेरर अटैक - ज़िम्मेदार कौन?
पुलवामा टेरर अटैक में मारे गए शहीदों के नाम एक लेख
14 फरवरी को हुए
पुलवामा अटैक पर पूरा देश दुखी है| हमारे जवानों पर हुए हमले ने पूरे देश के लोगों
को झकझोड़ कर रख दिया है| ऐसी हालत में देश के सभी लोग आपस में विवेक से
काम लें, और आपस में सौहार्द, प्रेम और भाईचारा बनाएं रखें|
इस दुखदायी आतंकी
हमले से दुखी होना जायज़ है| हमारे सैनिकों की निर्मम हत्या पर आक्रोश
दिखाना भी जायज़ है, लेकिन इसे एक नेशनल इवेंट की तरह सेलिब्रेट
करना ग़लत है| गलियों में मोर्चे के समय, इंडिया गेट पर कैंडल
मार्च के समय, कई लोग सेल्फी ले रहे हैं| अपने दोस्तों, साथियों, परिवारजनों के
साथ ग्रुप फोटो खींच रहे हैं| यह वक़्त सेलिब्रेट करने का नहीं है, अपना दुःख, अपना गुस्सा
ज़ाहिर करने का है|
अब बात करते हैं
सोशल मीडिया की, जिस पर लोग अपना समर्थन, अपना गुस्सा, अपना दुःख तो
दिखा ही रहे हैं लेकिन साथ ही साथ आपसी बहस में भी फँस रहे हैं| एक दूसरे को अच्छा
बुरा कह रहे हैं| दूसरे को देशद्रोही और ख़ुद को देशप्रेमी साबित
करने में लगे हुये हैं| सिर्फ व्हाट्सऐप और फेसबुक पर काली डीपी या
तिरंगा लगा लेने से आप देशभक्त नहीं बन जाते| अगर आप सच्चे देशभक्त हैं
तो किसी भी हाल में अपना विवेक नहीं खोएंगे और बाकी लोगो को ऐसा करने के लिए
प्रोत्साहित करेंगे| इससे देश में माहौल शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण
बना रहेगा| देशभक्ति का मतलब यह नहीं कि आप सरहद पर जाकर खड़े हो जाएं
और दुश्मन से लोहा लें, वो हमारे सैनिक बहुत अच्छे से कर रहे हैं| अगर देशभक्ति
दिखानी ही है तो हम अपने आस-पास एक-दूसरे का ध्यान रखकर, मदद करके और
एक-दूसरे का साथ देकर भी दिखा सकते हैं| बेवजह की बहसों में न
फँसकर एक समझदार नागरिक होने का प्रमाण दें| अपने ही देश के संसाधनों
को, सड़कों को, परिवहन के संसाधनों, बाज़ार, मकान, दुकान इन सभी
चीज़ों को नुक्सान न पहुँचाना भी देशभक्ति है|
हम देख रहे हैं
लोग जगह-जगह मोर्चा निकाल रहे हैं| पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे है| गुस्सा जायज़ है| लेकिन अपनी ही
गलियों में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने से आखिर हांसिल क्या होगा? अगर आक्रोश
दिखाना है तो हमें अपने नेताओं के घर के सामने आक्रोश दिखाना चाहिए| उनके घर के सामने
धरना देना चाहिए और उनसे माँग करनी होगी कि अब पानी सर से ऊपर चला गया है अब कुछ
करने की ज़रूरत है, ईंट का जवाब पत्थर से देने की ज़रूरत है| पाकिस्तान को यह
बताने की ज़रूरत हैं अगर हम तुम्हारे कलाकार, संगीत, खिलाड़ी, तुम्हारे खान-पान
का दिल खोल कर स्वागत कर सकते हैं तो तुम्हारी इस नीच हरकत पर तुम्हे तुम्हारे
बिलों से खदेड़ कर सज़ा भी दे सकते हैं, और अगर हमारे नेता ऐसा नहीं कर सकते तो अभी के
अभी कुर्सी खाली करें और किसी ऐसे को यह मौका दें जो पाकिस्तान की ईंट से ईंट
बजाने का गुर्दा रखता हो|
शोर मचा है शोर,
यह देखो सत्ता के
गलियारों में,
कौन है अपना कौन
पराया,
वीरों के
हत्यारों में...
प्रेम दिवस की
भरी दोपहरी,
आग का गोला भड़का
था,
चंद शहीद हुए थे
लेकिन,
सारा देश ही तड़पा
था...
बाँध कफन माथे पर
अपने,
जो थे हमारे
पहरेदारों में,
कौन है अपना कौन
पराया,
वीरों के
हत्यारों में|
शेख मुस्ताक 'साहिब'
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