धरती प्यासी है
पानी की ज़रूरत और पानी का महत्व हमारे जीवन में
आज हर इंसान की
पहली ज़रूरत है घर| एक ऐसा घर जहाँ सारी सुख-सुविधाएं हों| सारी ना सही कम से कम
बिजली और पानी तो ज़रूर हो| अब हमारे नेता भी तो हमसे यही वादा करते हैं की वो हमें
सारी सुविधाएं देंगे सारी ना सही कम से बिजली और पानी तो ज़रूर देंगे| खैर छोड़िये
इन नेताओं की बातों को| हम अपने मुद्दे पर आते हैं|
इस धरती पर जो भी
जीव हैं बाकि सुख-सुविधाओं के बिना तो जी सकता हैं लेकिन पानी के बिना ज़्यादा दिन
शायद ही जी पाएं| क्योंकि जल ही जीवन है| हम जब छोटे हुआ करते थे तब हमारे पड़ोस के
घरों में या गली में एक नलका यानि हैंडपंप लगा होता था| हत्था दबाओ और जितना चाहो
पानी निकालो| नलका चलाने से सेहत भी दुरुस्त रहा करती थी| फिर किसी ने प्राइवेट
बोरिंग करवा ली और कुछ लोगो ने अपने-अपने घरों में पानी का कनेक्शन लगवा लिया|
लेकिन बाकि के लोग तब भी नलके से ही पानी भरते रहे| बोरिंग वाले को वो नलका खटक
रहा था क्योंकि वो नलका उसकी कमाई में बाधा बन रहा था| तो उसने एक मुफ्त का
कनेक्शन गली में भी लगवा दिया बाकि लोगो के लिए| बाकि लोग भी उस कनेक्शन से पानी
भरने लगे और नलके को भूल गए| अब लोगो को नलका चलाना भारी लगने लगा| नलका ना चलने
की सूरत में लोगो की आदत और नलके की हालत ख़राब होने लगी| और धीरे-धीरे वो नलका
पानी निकालने लायक नहीं रहा|
नलके के ख़राब
होते ही बोरिंग वाले ने कनेक्शन से पानी देना बंद कर दिया और लोगो को गालियाँ देते
हुए कनेक्शन लगवाने के लिए कहा| लोगो ने भी आखिर कनेक्शन लगवा ही लिया| और इस तरह
नलका शहरों से गायब हो गया| शहर भी प्रगति की ओर बढ़ रहे थे| हर जगर ऊँची इमारतें,
पक्की कंक्रीट की सड़के, पक्की नालियाँ और सीवर| कच्ची ज़मीन बहुत कम रह गयी| बारिश
भी होती तो सडको और नालो से होते हुए काली गंगा में जा समाती| और यहीं से शुरू हुई
पानी की परेशानी| बोरिंग होती गयी| धरती की छाती की गहराई से पानी निचोड़ कर निकाला
जाने लगा| यहाँ तक पानी की कमी को पूरा करने के लिए दूसरे राज्यों से पानी मंगवाया
जा रहा है| जबकि इस समस्या का समाधान हम और आप खुद ही कर सकते है| यहाँ मैं यह बिलकुल नहीं कहना चाह रहा की हमें फिर से पीछे जाकर हैंडपंप लगाना चाहिए|
एक पुराना और
साधारण सा तरीका| लेकिन क्या हम और आप इसे अपनाएंगे? जिस धरती को हमने प्यासा कर
दिया क्या हम उसकी प्यास बुझाएंगे? जब हम धरती की कोख में एक बीज बोते हैं तो वो
उसे हज़ार गुना करके हमें फसल से रूप में वापिस देती है| अब जब धरती ही प्यासी
रहेगी तो हमारी प्यास कैसे बुझाएगी| धरती की प्यास बुझाने के लिए एक आसन और सरल
उपाय है- सोकता बनाना| अगर हर घर में बारिश के पानी के लिए एक सोकता हो तो इस
समस्या से निपटा जा सकता है| अगर हर घर सोकते को अपना ले तो एक या दो साल के अन्दर
ही ज़मीन के अन्दर पानी का स्तर ऊपर उठने लगेगा और धरती का कलेजा चीर देने वाली
गहरी-गहरी बोरिंग नहीं करनी पड़ेगी| और ना ही पड़ोसी राज्यों से पानी मंगवाना पड़ेगा|
तो आइये अपने-अपने घरों में सोकता बनाएं और धरती की प्यास बुझायें|