भारत VS इंग्लैंड मैच में भारत क्यों हारा इंग्लैंड से?
भारत VS इंग्लैंड मैच में भारत क्यों हारा इंग्लैंड से?
हार और जीत खेल का अभिन्न
अंग है और कोई खिलाड़ी या टीम इससे अछूता नहीं है| भारत VS इंग्लैंड मैच में, भारत भी इंग्लैंड से हारा, इसमें कोई समस्या नहीं है| भारत ने टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया है और एक-आध
हार होना स्वाभाविक है| बल्कि, भारत पिछले तीन विश्व कप में सिर्फ एक-एक मैच
ही हारा है, उस सन्दर्भ में देखें तो
भारत को जो मैच हारना था वो हार चूका है| तो फिर भारत के हारने से
समस्या है क्या? क्यों उसके
प्रसंशक और आलोचक दोनों को भारत की हार को लेकर परेशानी है? अगर आप ये लेख पढ़ रहे हैं तो, आप या तो भारत के समर्थक है या
आलोचक, या फिर दोनों ही|
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भारतीय समर्थक |
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आगे बढने से पहले मैं ये
बता दूँ, कि मैं क्रिकेट खेल का
समर्थक हूँ, न कि किसी ख़ास टीम का| इसलिए इंग्लैंड
और भारत दोनो ही मेरे लिए दो बेहतरीन क्रिकेट टीमें है|
भारत VS इंग्लैंड - इंग्लिश पारी
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बैर्स्टो और रॉय की शतकीय साझेदारी |
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इंग्लैंड ने शुरुआत में
भारत की गेंदबाज़ी अटैक को सावधानी से खेला और बैर्स्टो ने कई बार बचने के
बावजूद भी अपना विकेट फेंका नहीं|
पिच 400 रन की नहीं थी, पर फिर भी इंग्लैंड ने पिच की शुरूआती गति का फायदा उठाते हुए रन गति को बढ़ा
दिया (जो की इंग्लैंड पिछले कुछ वर्षो से करता आया है)| स्पिनर्स जो भारत के लिए इंग्लैंड के विरुद्ध सबसे बड़ा हथियार थे, इंग्लैंड ने
उसी पर आक्रमण किया | पंड्या की शार्ट पिच गेंद इंग्लिश ओपनर्स के
लिए कोई नई बात नहीं थी, और स्पिनर्स इस धीमी गति की पिच पर फ्लाइट से उन्हें मात
दे नहीं पा रहे थे| दोनों बल्लेबाज़ों ने छक्के और चौको की बौछार करते
हुए सिर्फ 22.1 ओवर में 160 रनो की ओपनिंग पार्टनरशिप की जो इंग्लैंड को मैच में भारत
से कहीं आगे ले गयी|
जडेजा ने बेहतरीन कैच कर
रॉय को आउट किया, पर रुट और बैर्स्टो शुरुआती रन गति का फायदा
उठाकर पारी को सँभालते हुए आगे बढे| आखिरकार 57 गेंदों की
पार्टनरशिप के बाद, बैर्स्टो ने शामी की गेंद को मिसटाइम कर एक
बेहतरीन शतकीय पारी समाप्त की| शामी ने पिछले मैच में
स्टार्क की रणनीति अपनाते हुए, अपने अगले ही ओवर में मॉर्गन को शार्ट पिच गेंद
पर आउट किया| दो जल्द विकेट के साथ 202/3 के स्कोर पर भारत
मैच में वापसी की कगार में था|
पर रुट और स्टोक्स ने 70
रन की भागीदारी कर मैच में अपनी बढ़त को बनाये रखा|
जो रुट ने अपना विकेट रन
गति को बढ़ाने की कोशिश में गंवाया|
वो अपना अर्धशतक आराम से पूरा करते पर इस स्थिति में बटलर का महत्त्व वो जानते थे| बटलर और खासकर स्टोक्स ने शामी की गेंदों पर धुआंधार रन बटोरे, शामी थोड़े महंगे साबित हुए पर अच्छी गेंदबाज़ी करते हुए तीन विकेट और लिए| स्टोक्स ने अपने बेहतरीन फॉर्म को जारी रखते हुए लगातार तीसरा और वर्ल्ड कप
में कुल मिलाकर चौथा अर्धशतक बनाया| उनकी आखिर तक खेली गयी 79
रनो की आतिशी पारी ही इस मैच में हार और जीत का अंतर तय करने वाली थी| बुमराह ने आखरी 5 ओवर में सिर्फ एक बाउंड्री देते हुए "डेथ"
गेंदबाज़ी का एक और बेहतरीन नमूना पेश किया| स्टोक्स भी उनकी गेंद पर
बॉउंड्री लगाने में असमर्थ थे|
ये बुमराह की ही गेंदबाज़ी
थी, जिसके कारण भारत इंग्लैंड को 350 से कम स्कोर पर रोक पाया|
भारत VS इंग्लैंड - भारतीय पारी
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के. एल. राहुल शून्य पर आउट होकर पवेलियन लौटते हुए |
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राहुल पूरे टूर्नामेंट की
तरह संघर्ष करते हुए धीमी होती विकेट पर
वोक्स को उनकी ही गेंद पर अपना कैच थमा बैठे| रोहित एक और शुरुआती
जीवनदान और दो चौको के बाद असमतल उछाल की वजह से जूझते नज़र आये| इंग्लिश सलामी गेंदबाज़ सधी हुई गेंदबाज़ी कर रहे थे| कोहली अच्छी लय में दिखे पर बड़े लक्ष्य और मध्य क्रम की खास फॉर्म न होने को
देखते हुए रोहित के साथ सतर्कता से बल्लेबाज़ी करते रहे| कोहली ने जल्द ही वर्ल्ड कप का अपना लगातार 5वां अर्धशतक बनाया| रोहित शर्मा ने भी धीरे-धीरे लय पकड़ी और तेजी से रन बनाने लगे| आर्चर और वोक्स की अच्छी गेंदबाज़ी के बाद बल्लेबाज़ों ने रशीद, वुड और स्टोक्स पर जल्दी से रन इकट्ठे किये| पर धीमी होती विकेट पर
अपने विविधता से प्लंकेट भारतीय जोड़ी को लगातार परेशान करते रहे| इसका फल उन्हें कोहली की विकेट के तौर पर मिला| एक बेहद महत्वपूर्ण 144
रनो की साझेदारी समाप्त हुई और भारत को अभी लगभग 9 रन प्रति ओवर की गति से 194 रन और बनाने
थे| रोहित शर्मा ने पंत के साथ एक तेज़ अर्धशतकीय साझेदारी की और
भारत को मैच में बनाये रखा| इसी दौरान रोहित शर्मा ने टूर्नामेंट में अपनी तीसरी
सेंचुरी पूरी की|
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रोहित शर्मा ने टूर्नामेंट में अपना तीसरा शानदार शतक पूरा किया |
वॉक्स ने अपने दूसरे
स्पेल की पहली ही गेंद पर रोहित को ऑफ कटर गेंद से चलता किया| यह भारत के लिए बड़ा झटका था और किसी स्थापित बल्लेबाज़ के बिना ये लक्ष्य बेहद
मुश्किल था| पंत और पंड्या ने कुछ तेज़ रन जोड़े पर वोक्स ने
एक ज़बरदस्त कैच पकड़कर पंत को विदा किया| पंड्या की तेज़ तर्रार
बल्लेबाज़ी से भारत की उम्मीद अभी भी बंधी हुई थी, लेकिन भारत को एक बड़े ओवर
की आवश्यकता थी, पर इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने कसी हुई गेंदबाज़ी
बरकरार रखी और कुछ बॉउंड्रीज़ के बावजूद कोई महंगा ओवर नहीं फेंका| रन रेट के दबाव में पंड्या ने अपना विकेट खोया और भारत ने शायद मैच| भारत को आखरी 5 ओवरों में 71 रन चाहिए थे| पर धोनी और जाधव सरीखे
बल्लेबाज़ के होते हुए ये नामुमकिन नहीं था| पिच अब बिलकुल धीमी हो
गयी थी और इंग्लैंड के गेंदबाज़ बड़ी समझदारी से गति में परिवर्तन कर रहे थे| बल्लेबाज़ी मुश्किल थी और लक्ष्य बड़ा, धोनी को पुल करते हुए अँगूठे में चोट लगी और इसके बाद दोनों बल्लेबाज़ों ने सिर्फ अपने विकेट बचाने का
फैसला किया| इंग्लैंड ने अपने शानदार ऑल राऊंड प्रदर्शन से
इस मैच को 31 रनों से जीत कर औपचारिकता पूरी की|
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अंतिम औपचारिकताएं |
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भारत VS इंग्लैंड - परिणाम और निष्कर्ष
सबसे पहले तो इस मैच की जीत के लिए इंग्लैंड की प्रसंशा बनती है| जब इंग्लैंड को जीत की सबसे ज़्यादा आवश्यकता थी, इंग्लैंड तब जीती और वो भी बेहतरीन तरीके से| इंग्लैंड ने पिच को बेहतर पढ़ा, उसने बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण तीनो विभागों में बेहतर प्रदर्शन
किया| जीत की उचित हक़दार भी
इंग्लैंड ही थी क्योंकि वो इस मैच को करो या मरो की स्तिथि में खेल रही थी|
दूसरी तरफ भारत अविजित फॉर्म में थी, पॉइंट्स टेबल का भी ज़्यादा दबाव नहीं था|
आपने मैच गौर से तो देखा ही होगा, पर फिर भी मैच के कुछ प्रमुख बिन्दुओ पर फिर से नज़र
डालते है|
पहली पारी:
- भारत ने 11वें अवर में रॉय के विरुद्ध रिव्यु नहीं लिया, जो की रीप्ले के अनुसार साफ़ आउट थे| उस निर्णय ने भारत को पुरे मैच में पीछे ही रखा|
- रॉय और बैर्स्टो का स्पिनर्स के विरुद्ध काउंटर अटैक के सामने कोहली लगातार स्पिनर से गेंदबाज़ी करवाते रहे| भारत ने शायद उम्मीद ही नहीं की थी की इंग्लिश बल्लेबाज़ स्पिनर्स को ऐसे खेलेंगे|
- बदलाव के तौर पर जाधव से या फिर तेज़ गेंदबाज़ो से कुछ ओवर देकर 'मोमेंटम' तोड़ सकते थे|
- शामी ने 32वें और 34वें ओवर में विकेट लेकर ये दिखाया की भारत ने गेंदबाज़ी बदलाव में देरी की|
- चहल और कुलदीप ने अपने 20 ओवरों में 160 रन देकर 1 विकेट लिया| पंड्या ने भी शुरुआत में पिच को देखते हुए गति में ज़्यादा परिवर्तन नहीं किये और महंगे साबित हुए|
- इंग्लैंड की सधी हुई
ओपनिंग स्पेल के सामने कोहली और खासकर रोहित का अति सावधानी पूर्वक रवैया भी भारत
के लिए मुश्किल बना| सम्भवता अपने मध्य क्रम के हालिया फॉर्म को
देखते हुए उन्होंने ऐसा किया, पर बाद में उन्होंने अपनी भागीदारी से इसका
भुगतान भी कर दिया| रोहित अगर अपने शतक में 20 रन और जोड़ते तो
नतीजा कुछ और हो सकता था| इसके बावजूद 39 ओवर के बाद दोनों टीमों का
स्कोर 226/3 और 230/3 थे, यहाँ से लगभग 10 रन प्रति ओवर बनाना था, जबकि 7 विकेट हाथ में हों तो बहुत मुश्किल नहीं था|
- शायद पंड्या को पंत की जगह भेजना
पंड्या को कुछ ज़्यादा ओवर दे देता|
- धोनी का बिलकुल आखरी
ओवरों तक बड़े हिट न लगाना उनके खेलने का जाना-माना तरीका है, पर जब आखरी तीन ओवर में भी उन्होंने कोई बड़ी हिट लगाने की इच्छा नहीं दिखाई, तो कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए|
- क्या धोनी इस मैच को
जीतना नहीं चाहते थे?
- इंग्लैंड की कसी हुई
गेंदबाज़ी को देखते हुए उन्हें जीत की कोशिश शायद व्यर्थ लगी होगी, और वो भारत को ऑल आउट होकर नेट रन रेट कम होने से रोकना चाहते थे|
- क्या लक्ष्य सच में बड़ा था या आखरी ओवरों में लक्ष्य भारत की पहुँच से बाहर हो गया?
- लक्ष्य बड़ा था पर भारत 40-41वें ओवर तक मैच में बना हुआ था| आखरी ओवरों में अँगूठे में चोट लगने के बाद धोनी का बड़े स्ट्रोक्स लगाना मुश्किल था| इसलिए उन्होंने शायद जाधव के साथ आखिर तक विकेट न गवाना सही समझा|
- क्या भारत सच में पाकिस्तान का टूर्नामेंट का रास्ता मुश्किल करने के लिए हारा?
- ये मानना इंग्लैंड के अच्छे खेल का श्रेया छीनना होगा| इंग्लैंड ने पिच को बेहतर पढ़ा, उसने बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण तीनो विभागों में बेहतर प्रदर्शन कर इस मैच को जीता| पाकिस्तान तो भारत की हार के बावजूद भी क्वालीफाई कर सकता है, इस लिए भारत का ऐसा करना बेमानी है |
- क्या ऑल आउट होने पर भारत सच में नेट रन रेट में पिछड़ जाता?
नहीं, ये विकेट गिरने से ज़्यादा अंतिम स्कोर पर निर्भर करता है| अगर भारत 47 ओवर में भी 306 रन बनाकर ऑल आउट हो जाता, तो भी भारत का नेट रन रेट उतना ही रहता |
क्या भारत के हार के लिए
जाधव और खासकर धोनी ज़िम्मेदार थे?
नहीं, भारत ने मुक़ाबला ज़रूर अच्छा किया पर कुछ प्रमुख मौKON पर चूक गयी जिसका
विश्लेषण हमने ऊपर किया है| इसी कारण अंततः भारत की हार हुई| हाँ, आखरी ओवरों में अगर भारत कुछ और कोशिश करते हुए हारता तो
हार से इतनी असंतुष्टि नहीं होती|
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बड़े स्ट्रोक्स लगाने की कोशिश में धोनी |
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इस लेख को पढ़ने तक भारत
सेमीफइनल में अपनी जगह पक्की कर चूका है और इंग्लैंड - न्यूज़ीलैण्ड मैच का नतीजा
भी सेमीफइनल की तस्वीर स्पष्ट कर देगा |
आपको यह लेख कैसा लगा, इसे अपनी राय या सुझाव से व्यक्त करें | धन्यवाद
लेखक: शेख इरशाद 'शाद'
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